२३ सितम्बर को इस ब्लॉग के दो साल हो गए. पर इस बात की ख़ुशी नहीं बल्कि अपराधबोध से मन बोझिल है. पिछले साल इस ब्लॉग पर सिर्फ दो लम्बी कहानियाँ और एक किस्त,वाली बस एक कहानी लिखी.
और मैने "
हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी " लिख डाली.
हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी से जुड़ी कुछ और बातों का जिक्र करने की इच्छा है...ये कहानी शायद मैने बीस साल पहले लिखी थी . {कोई सबूत चाहे तो पन्नो को स्कैन करके भी लगा सकती हूँ..पर एक वादा करना होगा...मेरी लिखावट पर कोई हंसेगा नहीं.,...वैसे इतनी बुरी भी नहीं है कि हँसे कोई ..पर हंसने वालो का क्या पता :( }
सभी पाठकों का बहुत बहुत शुक्रिया ...जिन्होंने मेरी कहानियाँ पढ़ीं...और टिप्पणी देकर उत्साह बढाया ...मार्गदर्शन भी किया...आशा है आने वाले वर्ष में आप सबो को निराश नहीं करुँगी...और सारी अधूरी कहानियाँ लिख डालूंगी...शुक्रिया फिर से...लगातार दो वर्ष तक साथ बने रहने के लिए...:)
जबकि sept 2009 -sept 2010 के अंतराल में आठ-सोलह-चौदह किस्तों वाली तीन लम्बी कहानियाँ और चार छोटी कहानियाँ लिखी थीं. मन दुखी इसलिए है कि ऐसा नहीं कि प्लॉट नहीं सूझ रहा...कम से कम पांच-छः प्लॉट और दो लम्बी कहानियाँ अधूरी लिखी पड़ी हुई हैं. पर पता नहीं वक्त कैसे निकल जा रहा है...शायद दूसरे ब्लॉग की सक्रियता कहानियों की राह में रोड़े अटका रही है...एक मित्र से यही बात शेयर की तो उनका कहना था...."कहानियाँ तो खुद को लिखवा ही लेंगी...दूसरे ब्लॉग पर सक्रियता कायम रखें...वो ब्लॉग लोगो को ज्यादा पसंद है..".. ..हाँ, कहानियाँ शायद लिखवा ही लें खुद को...पर इस अपराधबोध का क्या करूँ...जो जब ना तब मन को सालता रहता है.
खासकर तब,जब मेरी बहन शिल्पी ने कहा..., "आज भी पहले 'मन का पाखी' ही खोल कर देखती हूँ...नई कहानी आई है या नहीं"...और उसने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कही...कि "कहानियाँ, पाठकों की कल्पना को विस्तार देती हैं...वे अपनी दृष्टि से किसी भी कहानी को देखते हैं.." . कुछ और पाठक हैं..जो यदा-कदा टोकते रहते हैं..'कहानी नहीं लिखी कब से आपने ' और मैने सोच लिया....लम्बी कहानियाँ तो जब पूरी होंगी तब होंगी...एक कहानी तो पोस्ट कर दूँ..
और मैने "
अब पाठकों को बता दूँ कि ये कहानी ,जब मैं कॉलेज में थी,तभी लिखा था. दुबारा टाइप करते वक्त कुछ चीज़ें जुड़ गयीं...क्यूंकि हाल-फिलहाल की कहानी हो और टीनेजर्स से जुड़ी हो तो फिर उसमे मोबाइल और एस.एम.एस. का जिक्र कैसे ना हो.
मैने समीर जी से वादा भी किया था...कि डा. समीर के नाम के विषय में पूरी कहानी पोस्ट करने के बाद लिखूंगी. जब मैने यह कहानी लिखी थी तो पात्रों के यही नाम थे. ब्लॉग में पोस्ट करते वक्त मुझे इस बात का ध्यान था कि समीर जी एक नामी ब्लोगर हैं और मेरी कहानियों के पाठक भी. फिर भी मैं यह नाम नहीं बदल पायी. दूसरे कहानी लेखकों का नहीं पता..पर मेरे साथ हमेशा ऐसा होता है कि कहानी के हर पात्र का नाम ही नहीं एक अस्पष्ट सी तस्वीर भी मेरे सामने बन जाती है. ऐसा लगता है..उसे कहीं देखूं तो पहचान लूंगी. और वो नाम...उनका व्यक्तित्व उस कहानी से कुछ ऐसे जुड़ जाते हैं कि फिर उन्हें बदलना मेरे लिए तो नामुमकिन है. आज भी शची-अभिषेक, नेहा-शरद, पराग-तन्वी, मानस-शालिनी .सब जैसे मेरे जाने-पहचाने हैं. प्रसंगवश ये भी बता दूँ कि ये 'नाव्या' नाम मैने कहाँ से लिया था??..अमिताभ बच्चन के छोटे भाई की बेटी का नाम उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने रखा था, 'नाव्या नवेली'. मैने कहीं ये पढ़ा और ये नाव्या नाम तभी भा गया.
वैसे अब, जब कहानियाँ लिखती हूँ...तो सबसे बड़ी समस्या नामों की होती है. परिचय का दायरा दिनोदिन विस्तृत होता जा रहा है...और कोई भी परिचित नाम रखने से बचती हूँ. ऐसे में बेटों को कहती हूँ...'जरा अपने सेल की कॉल लिस्ट पढो...वे नाम पढ़ते जाते हैं...और उनमे से ही नाम चुन लेती हूँ..'तन्वी'...मानस' ... 'पराग' नाम ऐसे ही चुना था :)
हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी से जुड़ी कुछ और बातों का जिक्र करने की इच्छा है...ये कहानी शायद मैने बीस साल पहले लिखी थी . {कोई सबूत चाहे तो पन्नो को स्कैन करके भी लगा सकती हूँ..पर एक वादा करना होगा...मेरी लिखावट पर कोई हंसेगा नहीं.,...वैसे इतनी बुरी भी नहीं है कि हँसे कोई ..पर हंसने वालो का क्या पता :( }
ये साधारण सी कहानी है....मैं भी इसे अपनी प्रतिनिधि कहानियों में नहीं गिनती. कई वर्षों बाद, 'विक्रम सेठ' ने एक महा उपन्यास " Suitable Boy " लिखा . इसे Booker's Prize के लिए भी नामांकित किया गया. कई सारे अवार्ड मिले. मैने भी इस उपन्यास की चर्चा अपनी एक पोस्ट में की थी...जिसमे नायिका बहुत ही कन्फ्यूज्ड है कि वो किस से शादी करे. एक उसका कॉलेज का पुराना प्रेमी है. एक बौद्धिकता के स्तर पर बिलकुल सामान, कवि-मित्र और एक उसकी माँ के द्वारा चुना गया, सामान्य सा युवक जो बुद्द्धिजिवी नहीं है परन्तु अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित है.
मैने यह पोस्ट लिखने एक बाद अपने एक मित्र से चर्चा की कि मैने भी बरसो पहले एक कहानी लिखी थी...जिसमे नायिका समझ नहीं पाती कि वो किसे पसंद करती है. (हालांकि दोनों स्थितियों में बहुत अंतर है....मेरी कहानी में तो प्यार का इजहार ही नहीं हुआ). संक्षेप में उस मित्र को कहानी सुनाई तो उन्होंने कहा कि " ये कहानी तो बहुत आगे तक बढ़ाई जा सकती है...जिसमे नायिका को तीनो युवक को जानने का अवसर मिलता है..उसके बाद उसे पता चलता है कि किसके लिए उसके दिल में जगह है. मैने उनसे कहा , "ठीक है....यहाँ तक ये कहानी मैने लिखी...अब इस से आगे की आप लिखिए ..एक नया प्रयोग होगा "
{वैसे भी ब्लॉगजगत में बहुत पहले 'बुनो कहानी ' लिखी जाती थी. जिसे दो लोग मिलकर लिखते थे. मैं जब अपनी पहली लम्बी कहानी पोस्ट कर रही थी,तभी किसी ने ये प्रस्ताव रखा था कि "आप इस कहानी को पूरा कर लीजिये तो दुसरो के साथ मिलकर 'बुनो कहानी' ' के अंतर्गत एक कहानी लिखिए. उन्होंने कुछ नाम भी सुझाए कि उनके साथ मिलकर लिखिए ". तब उन्हें भी पता नहीं था और शायद मुझे भी कि अभी तो मेरे झोले से ही नई नई कहानियाँ निकलती जा रही हैं..और कुछ निकलने को बेकरार हैं :)}
मेरे मित्र ने बड़े उत्साह से 'हाँ' कहा. लेकिन वे युवा लोग...अभी जिंदगी शुरू ही हुई है...जिंदगी की सौ उलझनें....नौकरी बदल ली...नई नौकरी की डिमांड...और भी बहुत कुछ होगा...ये बात वहीँ रह गयी...वैसे आप सबो को खुला निमंत्रण है...जो भी चाहे इस कहानी को आगे बढ़ा सकता है...:)
सभी पाठकों का बहुत बहुत शुक्रिया ...जिन्होंने मेरी कहानियाँ पढ़ीं...और टिप्पणी देकर उत्साह बढाया ...मार्गदर्शन भी किया...आशा है आने वाले वर्ष में आप सबो को निराश नहीं करुँगी...और सारी अधूरी कहानियाँ लिख डालूंगी...शुक्रिया फिर से...लगातार दो वर्ष तक साथ बने रहने के लिए...:)
78 comments:
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरा करने पर हार्दिक शुभकामना. एक वर्ष से आपका नियमित पाठक के तौर पर आपके लेखन को एन्जॉय कर रहा हूँ...
मन के पाखी को दो वर्ष की अनवरत उड़ान के लिए बहुत बहुत बधाई...ग़म क्यों .....बस खुशी को विस्तार देने के लिए कहानी को विस्तार देने का वक्त निकालें...
डॉ समीर का रोल तो हमें पसंद आ ही रहा था....अच्छा लग रहा था उसका पात्र...अब जान भी लिया कि २० साल से छाया है यह नाम...:)
लिखती चलो, जब समय मिलता जाये..शुभकामनाएँ...ब्लॉग वर्षगांठ की बधाई...
[याद पड़ रहा है कि एक टिप्पणी लिखी थी जो शायद अपने अंजाम तक न पहुँच सकी: अब पुनर्प्रयास]
एक लेखक की मानसिक हलचल का सटीक और स्पष्ट चित्रण!
मैं कहानियों के खुद लिख जाने से सहमत नहीं हूँ क्योंकि वे स्क्वैटर्स होती हैं और अगर लेखक उन्हें उनकी सीमायें याद न दिलाता रहे तो वे एक दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण करने लगती हैं इसलिये पूरी कहानी न सही कमसेकम मुख्य बिन्दुओं के साथ प्लॉट की चारदीवारी बना देना मुझे तो ज़रूरी सा ही लगता है।
और हाँ, दूसरी वर्षगांठ की बधाई!
जहां तक मैं समझता हूँ सुटेबल ब्वॉय की कहानी या ऐसे ही पति चुनने जैसी कहानीयों का मूल कुछ कुछ सिंहासन बत्तीसी की कथा में है जिसमें पीठ पर लदा वेताल पूछता है कि बता विक्रम राजकुमारी किससे शादी करेुगी....
और फिर तीन लोगों में से चुनने कहा जाता है....जिनमें से एक चोर, एक राजकुमार तो तीसरा कुछ औऱ होता है...सभी में कुछ न कुछ गुण होता है , कोई वीर होता है कोई ज्ञानी तो कोई कुछ .....पूरा ठीक से याद नहीं :-)
हिन्दी फिल्मों में भी कईयों में नायिका कन्फ्यूज्ड है। मन्नू भंडारी की कहानी पर बनी रजनीगन्धा, और एक दो फिल्में जेहन में हैं जो इसी सेलेक्शन प्राब्लम पर केन्द्रित हैं।
हम तो किश्तों को भी कहानियों में गिन रहे हैं ! इस हिसाब से दो साल मे ४२ का आंकड़ा बुरा नहीं है :)
ना और व्या पे समाप्त होने वाले नामों को चुनने में कहानी से अधिक टिप्पणी विवाद के योग प्रबल हैं :)
कथा ब्लॉग के तीसरे जन्म दिन की बधाइयां ! कम भले ही लिखे पर बेहतर ही लिखें ! शुभकामनाओं के साथ !
मन का पाखी के दो साल पूरे होने की बधाई।
ब्लाग में किस्तों में कहानियां लिखना बड़ी चुनौती का काम है। उसे आपने दो साल निभाया यह अपने आप में एक उपलब्धि है।
मेरा अभी भी सुझाव है कि बुनो कहानी की तर्ज पर कहानी लिखिये। जो लोग कहानी लिखते हैं उनके साथ मिलकर। यह एक मजेदार प्रयोग है।
एक बार फ़िर से बधाई।
मुझे आपकी कहानियाँ इसलिए बहुत पसंद हैं कि उनके पात्र मुझे बड़े परिचित और आत्मीय से लगते हैं ! कहानी पढ़ते पढ़ते अक्सर ही कई पात्रों की छवि मेरे भी मन में बन जाती है जो निश्चित रूप से आपकी मन में बनी छवि से तो भिन्न ही होगी क्योंकि ये पात्र मेरे परिचित होते हैं ! यही शायद आपके लेखन की सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है कि ये सारे पारे सार्वभौमिक बन जाते हैं और पाठक इनसे जुड़ाव सा पाल लेते हैं मन में ! इसीलिये कहानी के पात्रों के दुःख सुख उन्हें भी विचलित कर देते हैं ! आप लिखती रहिये हमें इंतज़ार रहता है ! मन का पाखी की दूसरी वर्ष गाँठ के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
khushi hi khushi.... kam , adhik se kya fark padta hai , her baar kahaniyon ke saath nyay hota hai aur nyay ke liye kai baar adhik waqt ki zarurat hoti hai....
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरा करने पर हार्दिक शुभकामना.
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
हार्दिक बधाई।
________
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
बहुत बहुत बधाई...इस कामयाब सफ़र के लिए.
बहुत बहुत बधाई, लम्बी यात्रा अपने आप में ही आनन्द है।
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरा करने पर हार्दिक बधाई
खुबसूरत सुन्दर.....
बधाई । सफल दो वर्ष की ख़ुशी मनाइए । ग़म किस बात का ।
आपके लेखन में जो प्रवाह है , वह बहुत कम देखने को मिलता है रश्मि जी ।
Anek shubh kamnayen! Kahanee ke baare me 'kahanee' padhna bada achha laga!
इस ब्लाग के दूसरे वर्षगांठ पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें....!
यह संयोग ही है कि हमने भी २३ सितम्बर को ही ब्लॉगिंग शुरु की थी... और वह भी एक कहानी से ही।
द्वि वार्षिकी की हार्दिक शुभकामनाएं. कहानियां कब अपने आपको पूरा करवाती हैं, हमें तो इस बात का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
रामराम
रश्मिजी
"मन का पाखी "के दो वर्ष पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई |
बिलकुल सही कह रही है आप दिन रात प्लाट आते है कहानियो के दिमाग में और ऐसी ही मेरी भी कुछ कहानी कुछ रचनाये अधूरी पड़ी है उन्हें गति ही नहीं मिल रही है बहरहाल आपसे तो बहुत उम्मीद है नई कहानी की ?
मन का पाखी इसी तरह ऊंची उड़ान भरता रहे, अनन्त शुभकामनाएं.
अभी तो सिर्फ बधाई स्वीकार करो , टिप्पणी बाद में !
मैं तो कहानी पढने के लिए तैयार होकर बैठी लेकिन कहानी तो लिखी ही नही। आपको बधाई। अब मैं सोच रही हूं की वास्तविकता में तो कई झंझट हैं,इसलिए कहानियां ही पढ़ो।
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरा करने पर हार्दिक शुभकामनाएं.
ब्लॉग जगत मे पदार्पण किये, हो गये पूरे दो साल। क्षोभ न करिये लंबी डगर है जारी रखिये धीमी चाल। दो वर्ष पूरे करने की हार्दिक बधाई एवम बहुत बहुत शुभकामनायें।
और हाँ बधाई भी.
मुझे तो याद ही नहीं किस दिन मैंने अपना ब्लॉग बनाया था :)
गायब हो चूका कमेन्ट:
--
दो ब्लॉग?
मैं तो आपके ब्लॉग फीड में ही पढता हूँ और एक पाठक की नजर से में दोनों में कोई भेदभाव नहीं करता :)
--
@अरुण जी,
शुक्रिया...आपको मेरा लेखन पसंद आता है...
@मीनाक्षी जी,
शुक्रिया..सही कहा आपने...कुछ टाइम मैनेजमेंट की जरूरत है...बहुत ज्यादा ही जरूरत है.
@ समीर जी,
हा हा .सही पहचाना...अब मुझे भी लग रहा है...छोटी सी भीड़ इकट्ठी कर रखी है, अपने आस-पास ..मैने नामो की .
और हाँ धन्यवाद....शुभकामनाओं के लिए
@शुक्रिया अनुराग जी,
अफ़सोस है कि आपकी पहली टिप्पणी कहीं खो गयी...:(
बड़े अमूल्य टिप्स दिए हैं आपने, कहानी लेखन पर...धन्यवाद
(
@सतीश जी,
यानि लड़कियों के मन में ये कन्फ्यूज़न सदियों से चला आ रहा है...
और आपने मेरे ब्लॉग के दूसरे बड्डे पर बधाई तो दी नहीं..चलिए पर, हम थैंक्यू बोल देते हैं :)
@शुक्रिया अली जी,
सही सलाह है....आपकी..पर यहाँ हम कम भी लिखते हैं और संतुष्ट भी नहीं होते अपने लेखन से :(
@वंदना
शुक्रिया :)
@ संगीता जी,
...शुक्रिया :)
@ जाकिर जी,
धन्यवाद..:)
@शुक्रिया शाहिद जी,
कामयाब है या नहीं...पर सफ़र तो है
@प्रवीण जी,
शुक्रिया...सफ़र में आनंद है..इसमें दो मत नहीं.
@संजय जी,
शुक्रिया :)
@ सुषमा जी
शुक्रिया :)
@शुक्रिया दराल जी
आप जैसे पाठकों से ही अपने ही लेखन को जानने का अवसर मिलता है.
@शमा जी,
शुक्रिया..:)
@शुक्रिया मनोज जी,
ये तो रोचक जानकारी दी आपने...एक साथ ही हमने ब्लॉग शुरू किया...आपको भी बहुत बहुत बधाई.
@शुक्रिया ताऊ रामपुरिया जी
कहानी पर आपकी टिप्पणियाँ हमेशा ही उत्साहवर्द्धन करती हैं..और अच्छा लिखने को प्रेरित करती हैं.
@शोभना जी,
शुक्रिया...आप भी समय निकालिए ,लिखने के लिए...आपकी कहानियाँ बहुत ही प्रेरणास्पद होती हैं.
@ वंदना दुबे
थैंक्यू :)
@ शुक्रिया वाणी,
तुम्हारी टिप्पणी का इंतज़ार रहेगा.
@अजित जी,
शुक्रिया...आपने तो पहले वाली कहानियां भी नहीं पढ़ीं...फिलहाल उन्हें ही पढ़ कर देखिए...:)
@शरद सिंह जी,
बहुत बहुत शुक्रिया
@ सूर्यकांत जी,
बहुत बहुत शुक्रिया...
कहानी लिखने की चाल तो सचमुच धीमी हो गयी है..अब जरा स्पीड बढानी है.
@ अभिषेक,
शुक्रिया ...बड़ी अच्छी बता है...आप ब्लॉग नहीं देखते सिर्फ लेखन देखते हैं...वर्ना कई लोग समसामयिक आलेख पसंद करते हैं....कहानियाँ नहीं.
और हाँ...अपने अपना ब्लॉग २६ फ़रवरी २००७ को शुरू किया था.
बहुत सीनियर हैं आप तो..सलाम सर :)
ब्लॉगजगत में दो वर्ष पूरे होने की बधाई...वैसे बात तो सही है..मैं भी "मन का पाखी" ही पहले निकलती हूँ...फिर बाद में आपको पढने की इच्छा आपके दूरे ब्लॉग में ले जाती है....वैसे आजकल मैं भी "suitable boy" पढ़ रही हूँ...
KITNA LIKHA YE JAROORI NAHIN HAI...LIKHA YE JAROORI HAI...BLOG KE DOOSRE JANAM DIN KI DHERON BADHAIYAN...BLOG YUN HI CHALTA RAHE...NIRANTAR...
बात मूड की होती है, आज एकदम मूड बन गया था कि कहानी ही पढी जाए। लेकिन अफसोस। चलिए किसी दिन खंगालेंगे आपका खजाना।
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरा करने पर हार्दिक शुभकामनायें. मैं आपका लेखन काफी इंटरेस्ट से पढ़ती हूँ. बधाई.
ढेरों बधाईयां। सफ़र यूं ही आगे बढता रहे..
♥
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूर्ण करने पर हार्दिक शुभकामनाएं !
साथ ही…
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और
शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
आपकी stories का इन्तेजार तो हम भी बहुत करते हैं congratulations on your achievement!!
२ वर्ष पूरा करने की ढेरों बधाई!
आपका लेखन ऐसे कई सोपान पार करे
एक कन्फ़ेशन है!!
मैं उनमे से हूँ जो यहाँ बहुत कम कहानियाँ समय पर पढ़ पाता हूँ, और जो पढता हूँ (देर से ही) उनमे से भी कम पर ही टिप्पणी कर पाता हूँ।
ये और बात है कि मैं न चाह कर भी थोडा भेदभाव करता हूँ, और मुझे सचमुच आपका ये ब्लॉग अधिक पसंद है। (अब आप अपने दूसरे ब्लॉग पर खेल की बातें लिखेंगी तो अलग बात है :))
जहाँ चाह वहाँ राह निकल ही जाती है।
अपना काम है प्रयास करना।
सभी तारीफें कर रहे हैं.....मैं कुछ बुराई कर दूँ क्या?????
चलिए फिर झेलिये मेरे टाईप का अच्छा कमेन्ट :P :P
मुझे तो आपकी सभी कहानियां बड़ी बोर करती हैं...मुझसे तो पढ़ा नहीं जाता...कमेन्ट में तो युहीं बडाई कर देता हूँ, लेकिन दिल से नहीं :D :D
jokes apart,
हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी आपने बीस साल पहले लिखी थी...हे भगवान...विश्वास नहीं होता...
चलिए खैर, जल्दी जल्दी अच्छी अच्छी(बुरी बुरी) कहानियां लाते रहिये...
वैसे मैं तो इस ब्लॉग पे खोज खोज के पोस्ट पढता हूँ...आपको तो बताया ही था :) :)
कहानियों में शब्दों द्वारा पात्रों के चेहरे ,चरित्र और परिस्थितियों को साकार कर देना ही सबसे बड़ी खूबी मानती हूँ , वो भी इस तरह कि हर पाठक उससे जुड़ सा जाये ...
लालटेन(:)) द्वारा ग्राम्य जीवन को प्रकाशित करना हो या नव्या की शहरी चाल ढाल ...सब कमाल !
तुम्हारी कहानी के सभी पात्र अपने आस -पास के या बहुत देखे हुए से , वास्तविकता के करीब लगते हैं, कहानी में चाहे काल्पनिकता हो !
मन के पाखी को दो वर्ष की अनवरत उड़ान के लिए बहुत बहुत बधाई|
हार्दिक शुभकामना
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अब आपका ब्लोग यहाँ भी आ गया और सारे जहाँ मे छा गया। जानना है तो देखिये……http://redrose-vandana.blogspot.com पर और जानिये आपकी पहुँच कहाँ कहाँ तक हो गयी है।
इस व्लॉग की दुनिया में दो वर्ष की अवधि पूरा करने के लिए मैं आपको तहे दिल से शुक्रिय अदा करता हूँ। आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है कि आपके "मन का पाखी" उन्मुक्त होकर दीर्घावधि तक उड़ान भरता रहे । नवमी एवं दशहरा की अशेष हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ----। समय की पाबंदी न हो तो मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं ।
badhiyaa hai ravija ji....
ब्लॉग की दूसरी वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनायें.... बाकि सही बताएं तो आपके ब्लॉग पर लिखी कहानियाँ अभी तक नहीं पढ़ी.... देखा तो कम से कम १ दिन मांग रहा है आपका ब्लॉग, पेंडिंग कर लेता हूँ, किसी अच्छे दिन बैठकी में पूर्ण करूँगा.
प्रभावशाली प्रस्तुति
दो सफल वर्ष पूरा करने के लिए हार्दिक शुभकामनायें.
आप बस लिखती रहें..भले थोडा अंतराल हो ब्लॉगों के बीच. बस कारवां चलता रहना चाहिए..नए लोगों को बहुत प्रेरणा मिलेगी.
एक नजर मेरी कविताओं पर डालें.
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
आपके पोस्ट पर सर्वदा आता था । दो वर्ष पूरा करने के लिए मेरी ओर से अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
THANKS
VERRY..................NICE
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । .मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । दीपावली की शुभकामनाएं ।
दो वर्ष पूरे करने पर बधाई - कम ही लिखिये पर लिखती चलिये।
आपका पोस्ट अच्छा लगा । .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
इंतजार रहेगा आनेवाले हर कल का
कल का सुख अभी भूला नही है
यही तो प्रमाण हे इसका
रश्मि जी ,
बहुत बहुत बधाई .....
समस्या यही रहती है कि चर्चित ब्लॉग को छोड़ दुसरे पे कैसे लिखें ...
पर कहानियों का लेखन ही आपको नाम और शोहरत देगा ....
इसलिए इस और ध्यान देना जरुरी है ....
दो साल पूरे हो गए..पता ही नहीं चला. चलिए, देर से ही मेरी भी बधाई लें.
बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
achha likha hai....
blogging ke do warsh pure karne par badhaai....
dua hai aapka man hriday aur blog aise hi daudta rahe badhta rahe....
Of course, what a magnificent website and illuminating posts, I definitely will bookmark your blog.Have an awsome day!…
From Great talent
nnice
कोई भी रचना अपना समय आने पर कलम के जरिये कागज पर और कीबोर्ड के जरिये स्क्रीन पर उतर ही आती है। सृजन का यह बुखार तब तक रहता है जब तक वह रचना तैयार न हो जाये। यह बुखार हर सर्जक को आता है। यही बीमारी सर्जक को काम करने के लिए प्रेरित करती है। ब्लॉगिंग के दो वर्ष पूरे करने पर बधाई स्वीकार करें।
आपके ब्लॉग को दो वर्ष पूरे होने की बधाई,...
सुंदर आलेख .....
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्त है लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
आपके पोस्ट पर आना सार्थक होता है । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
do varsh poore hone pr hardik shubhkamna.
दो वर्ष के इस सुंदर सफर की बधाई ,.....
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
yun hi navvarsh mein bhi falta fulta rahe blog inhi shubhkamnon ke saath haardik badhai..
do varsh poore hone pr hardik badhai ...ham apke blog ko anantkal tk dekhane ki dua karate hain ....
शुभकामनाएँ...ब्लॉग वर्षगांठ की बधाई...
बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुति..बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
Post a Comment