tag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post961728284785188354..comments2023-09-10T07:58:02.211-07:00Comments on मन का पाखी: उम्र की सांझ का, बीहड़ अकेलापनrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-34536013182990974622015-03-25T10:51:23.851-07:002015-03-25T10:51:23.851-07:00यह कविता वृद्धों की सामाजिक स्थिति का एक मार्मिक र...यह कविता वृद्धों की सामाजिक स्थिति का एक मार्मिक रेखांकन है.....जो अपनी वास्तविकता के कारण मन को छू जाति है........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14728926135923042630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-34178060342198886432015-03-25T10:44:52.816-07:002015-03-25T10:44:52.816-07:00इस कविता में वृद्धों की सामाजिक स्थिति का एक चित्र...इस कविता में वृद्धों की सामाजिक स्थिति का एक चित्र पाठकों के सामने खड़ा होता है|जिसकी मार्मिकता व्यक्ति की मन को छू जाती है ....आपकी यह कविता पढ़कर बहुत अच्छा लगा|Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14728926135923042630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-74334417691289531312012-02-04T06:06:13.042-08:002012-02-04T06:06:13.042-08:00बहुत ही खुबसूरत
और कोमल भावो की अभिवयक्ति......बहुत ही खुबसूरत <br />और कोमल भावो की अभिवयक्ति......विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-60187181422484628182010-01-09T16:29:48.197-08:002010-01-09T16:29:48.197-08:00संजीदगी का इस तरह कवित्त के माध्यम से उकेरना अक्सर...संजीदगी का इस तरह कवित्त के माध्यम से उकेरना अक्सर होता रहा है, लेकिन यहां तो आपने मय तस्वीर उस सांझ को जीवंत ला खडा किया है जब शाम इस तरह निरीह भाव से निहारी जा रही थी। <br /><br />सुंदर।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-91172918048295141692010-01-07T21:04:09.251-08:002010-01-07T21:04:09.251-08:00बेहद मार्मिक व उम्दा रचना लगी , दिल को छु लिया आपन...बेहद मार्मिक व उम्दा रचना लगी , दिल को छु लिया आपने । बहुत खूबMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-40203279750347376102009-12-31T04:39:45.382-08:002009-12-31T04:39:45.382-08:00रश्मि जी ,
आपने बहुत सजीव चित्रण किया है ..
यदि वे...रश्मि जी ,<br />आपने बहुत सजीव चित्रण किया है ..<br />यदि वे सचमुच घूरतीं.<br />तो संतोष होता<br />अपने अस्तित्व का बोध होता. <br /><br />सच शायद इस उम्र में अपना अस्तित्व ही खोता हुआ सा लगता है <br /><br />लोगों की हलचल के बीच भी,<br />रहता हूँ,वीराने में<br />दहशत सी होती है,<br />अकेले में भी,मुस्कुराने में<br /><br />सटीक वर्णन है...मार्मिक भाव अपने शब्दों में उतार दिए हैं ......अच्छी रचना के लिए बधाई .<br /><br />नव वर्ष की शुभकामनायेंसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-85082022339978869382009-12-23T02:41:26.095-08:002009-12-23T02:41:26.095-08:00कमेंट्स की इतनी लम्बी ट्रेन देख कर अक्सर निकल जाता...कमेंट्स की इतनी लम्बी ट्रेन देख कर अक्सर निकल जाता हूँ लेकिन आपने जिस सलीके से अपने अनुभवों को पिरोया है उसे पढने के बाद अपने को रोक नहीं पाया ... बहुत सुन्दर गद्य बहुत सुन्दर कविताश्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-68442116754427136522009-12-17T03:07:35.965-08:002009-12-17T03:07:35.965-08:00पसंद आई आपकी यह पोस्ट ..सच्चाई को कहती है यह .शुक्...पसंद आई आपकी यह पोस्ट ..सच्चाई को कहती है यह .शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-38705467895040340332009-12-17T03:01:47.437-08:002009-12-17T03:01:47.437-08:00रश्मि जी, आपकी संवेदनात्मक लेखन ने ध्यान खींचा है....रश्मि जी, आपकी संवेदनात्मक लेखन ने ध्यान खींचा है. युवाओं को हर संभव प्रयास करना चाहिए इनके एकाकीपन को कम करने में.<br /><br />कहीं कहीं विदेशो में तो यह एकाकीपन अभिशाप बन गया है. चलिए यहाँ स्थिति कुछ बेहतर है वर्ना हमे तो कभी कभी <a href="http://sulabhpatra.blogspot.com/2009/11/blog-post_15.html" rel="nofollow">कुछ ऐसा लिखना पड़ता है</a><br /><br />- सुलभSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-69852100402406416252009-12-16T23:04:04.552-08:002009-12-16T23:04:04.552-08:00ek umr ke baare mein sochna kisi bhi umr mein muna...ek umr ke baare mein sochna kisi bhi umr mein munasib nahi lagta.. shayad isiliye piyush mishra sahab likhte hai.. ""jaisi bachi hai waisi ki waisi bacha lo re duniya..."<br /><br />ek achhi post!!कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-28900646219233875212009-12-16T21:03:21.141-08:002009-12-16T21:03:21.141-08:00मन को छूती हुई कविता। सचमुच की कविता। नई कविता के ...मन को छूती हुई कविता। सचमुच की कविता। नई कविता के नाम पर बस पंक्तियों को छोटा-बड़ा और ऊपर-नीचे कर गद्य को कविता के नाम पर परोसने की तमाम करतूतों से तनिक अलग-थलग ये रचना सकून पहुँचाती है..कि अभी भी कविता अगर दिल से निकले तो सुर-लय-प्रवाह और तुक को बनाये रखती है, भले ही छंदों की बंदिश ना हो।<br /><br />दिल से बधाई एक अच्छे पोस्ट के लिये और एक अच्छी कविता के लिये।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-3290401605812468652009-12-15T18:45:26.971-08:002009-12-15T18:45:26.971-08:00ये सब कुछ नहीं,एक इंसान हूँ,मैं
सबका होना है हश्र,...<b>ये सब कुछ नहीं,एक इंसान हूँ,मैं<br />सबका होना है हश्र,यही,<br />सोच ,बस परेशान हूँ,मैं.</b> <br />अगर हम अवश्यम्भावी को आज देख पायें तो शायद बुजुर्गों के प्रति ज़्यादा सजग हों. कविता पढ़कर संत कबीर के शब्द याद आ गए. <br /><b>मालिन आवत देख के कलियाँ करत पुकार <br />फूल आज चुन ले गयी, कल हमारी बार</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-40272374890177315962009-12-15T08:43:14.841-08:002009-12-15T08:43:14.841-08:00ढ़लती उम्र का अकेलापन सच में कितना कष्टदायी होता हो...ढ़लती उम्र का अकेलापन सच में कितना कष्टदायी होता होगा हम तो बस इसकी कल्पना ही कर सकते है अभी । <br /><br /><br />बहुत सुन्दर कविता दीदी !!!!!!Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-20016023782068638832009-12-15T06:54:53.415-08:002009-12-15T06:54:53.415-08:00वाजिब परेशानी !वाजिब परेशानी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-3439711223728831592009-12-15T06:17:50.353-08:002009-12-15T06:17:50.353-08:00बहुत मार्मिक ढंग से आपने वृद्ध लोगों की व्यथा कथा ...बहुत मार्मिक ढंग से आपने वृद्ध लोगों की व्यथा कथा लिखी है...आज जिन्हें हम यूँ बे सहारा छोड़ देते हैं कल हमें भी कोई यूँ छोड़ देगा ये क्यूँ नहीं सोचते...भाग दौड़ की इस ज़िन्दगी ने हमें कितना यांत्रिक बना दिया है सोच में भी और व्यवहार में भी...संवेदनाएं जैसे मर सी गयीं हैं...आपकी कविता भी दिल छु गयी...वाह...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-8701255752366368042009-12-15T05:24:19.047-08:002009-12-15T05:24:19.047-08:00बुजुर्गों का सूर्यास्त देखना... जैसे अपने जीवन का ...बुजुर्गों का सूर्यास्त देखना... जैसे अपने जीवन का इहलीला का अंत देखना... काश की सबका सूर्यास्त पिघलता सोना सा हो... और जब उसकी रश्मि नदी में पड़े तो तरंग हर पैर को आनंदित करे... <br />वैसे एक डायरी की पन्ने पीले ही क्यों होते हैं ?सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-10193446973624656482009-12-15T04:47:32.313-08:002009-12-15T04:47:32.313-08:00रश्मि जी आपने एक ऐसे संवेदनशील मामले को अप...रश्मि जी आपने एक ऐसे संवेदनशील मामले को अपनी कलम से उठाया है जिस पर बहुत कम लिखा गया है और अधिकतर भुगत भोगी ही लिखते आये है.<br />अगर जीवन चलता रहा तो ये समय हमारा सबका आना है <br />परिवार छोटे होते जा रहे है और स्नेह के रिश्ते भी संकुचित हो रहे है <br />ओल्ड एज होम पहले बहुत ही हे विकल्प मना जाता था पर अब लगता है वहा जीवन तो है, देखभाल का एक सिस्टम तो है, सुख दुःख साझा करने का हौसला और मन तो है. मुझे लगता है जीवन की संझा मई बुजुर्गो को भी अपने लिए कुछ शौक विकसित करने चाहिए. <br />कुछ नयापन, कुछ उत्साहवर्धक और हमारे जमाने मे ऐसा होता था ये भूलकर हर ज़माने के शाश्वत मूल्यों पे जोर देना चाहिए. <br /><br />आपकी कविता की टाइमिंग बहुत ही बढ़िया है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-74108279598672845602009-12-15T02:27:19.986-08:002009-12-15T02:27:19.986-08:00इस रचना पर आपसे बात हो गई थी तो ऐसा लगा था जैसे यह...इस रचना पर आपसे बात हो गई थी तो ऐसा लगा था जैसे यहाँ टिप्पणी दे चुका हूँ ,अभी अजय झा ने याद दिलाए तो फिर यहाँ आया ..बधाई हो इस रचना और इसके विषय के लिये ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-47725614704492938862009-12-15T02:01:50.951-08:002009-12-15T02:01:50.951-08:00कविता बहुत ही सुन्दर है।कविता बहुत ही सुन्दर है।Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-9936889738537618782009-12-15T01:57:58.918-08:002009-12-15T01:57:58.918-08:00bahut hi samvedansheel rachna..........bujurgon ke...bahut hi samvedansheel rachna..........bujurgon ke akelepan par abhi kuch din pahle maine bhi ek post dali thi aur pahle bhi kai baar likha hai.........sach hum sab aur sab kuch likh lete hain magar udhar dekhna nhi chahte jo aage hamare sath bhi hone wala hai.........kabhi padhiyega.........sookhe darakht ka dard........ismein bhi usi dard ko piroya hai jo aapne mehsoos kiya hai aur apni kavita mein ujagar kiya hai.........bahut hi marmik likha hai.....aage bhi aise hi likhti rahiye.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-65464585649063117472009-12-15T00:27:20.821-08:002009-12-15T00:27:20.821-08:00आज के माहौल का सजीव चित्रण है ........बुजुर्गों की...आज के माहौल का सजीव चित्रण है ........बुजुर्गों की स्थिति ती सोचनीय हैरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-79014506282271717662009-12-14T23:44:13.213-08:002009-12-14T23:44:13.213-08:00एक अत्यंत मार्मिक चित्रण.बहुत कुछ कहती हुई एक रचना...एक अत्यंत मार्मिक चित्रण.बहुत कुछ कहती हुई एक रचना. कुछ. सोचने को मजबूर तो करती है पर न जाने क्यों लोग अपनी असमर्थता जाहिर करते हैं .सबके अपने अलग अलग कारण हैं.कभी लगता है की सबकी अपनी अपनी मज़बूरी होगीरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-90053054348702526832009-12-14T23:24:52.287-08:002009-12-14T23:24:52.287-08:00रश्मि बहना,
जिस घर में बड़ों का सम्मान नहीं होता,...रश्मि बहना, <br />जिस घर में बड़ों का सम्मान नहीं होता, उस घर में कभी सुख-शांति नहीं आ सकती...आज हमें लगता है कि खुद<br />मरने की फुर्सत नहीं है बड़े-बुज़ुर्गों को कहां से वक्त दें...लेकिन ये वही बड़े हैं जो बचपन में हमें छींक भी आने पर<br />पूरी रात हमारे सिरहाने बैठ कर निकाल दिया करते थे...मैंने अपनी ब्लॉगिंग के शुरुआती दिनों में बुर्जुंगों की हालत<br />को लेकर सांझ का अंधेरा नाम से चार लेख की सीरीज लिखी थी...टिप्पणियों के ज़रिए बड़ा अच्छा विमर्श हुआ था...यहां लिंक दे रहा हूं...टाइम हो तो पढ़िएगा ज़रूर और मेरे ई-मेल sehgalkd@gmail.com पर राय भेजिएगा...<br /><br />http://deshnama.blogspot.com/2009/09/blog-post_03.html<br /><br />http://deshnama.blogspot.com/2009/09/blog-post_04.html<br /><br />http://deshnama.blogspot.com/2009/09/blog-post_05.html<br /><br />http://deshnama.blogspot.com/2009/09/blog-post_06.html<br /><br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-12937578520789230572009-12-14T22:59:58.032-08:002009-12-14T22:59:58.032-08:00बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति हैमैं भी इस स्थिती के करीब...बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति हैमैं भी इस स्थिती के करीब ही हूँ इस दर्द का बखूबी अंदाज़ा लगा सकती हूँ। शायदऐसे लोगों मे खुशकिस्मत हूँ कि आप सब का साथ मिल गया है। कविता दिल को छू गयी बहुत बहुत आशीर्वाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-45540968383282735732009-12-14T21:09:31.618-08:002009-12-14T21:09:31.618-08:00रश्मि,
बहुत सही कहा, अब ये बुजुर्गो...रश्मि,<br /> बहुत सही कहा, अब ये बुजुर्गों कि नियति है, कल ये हमारी भी होगी ऐसा नहीं है. हाँ शायद हमारे लिए कुछ ऐसे साधन बन चुके हैं , कि हम इनमें व्यस्त होकर सब भूल जाते हैं. पर जो अभी इस पड़ाव पर हैं , वे इतना अपनापन जी चुके हैं कि अब शहरी संस्कृति में ढल नहीं पाते.<br /> मेरे एक परिचित थे, उनका एकलौता बेटा अमेरिका में था, जब भी वह भारत आता और जाने लगता तो वह कहते , 'मिस्टर पंडित हो सकता है कि ये हमारी आखिरी मुलाकात हो.' और कई वर्षों बाद ऐसा ही हुआ.<br />अब तो बच्चों के सानिंध्य कि कौन कहे, अंतिम दर्शन भी नहीं नसीब होते हैं.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.com