tag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post6223746893972367236..comments2023-09-10T07:58:02.211-07:00Comments on मन का पाखी: जब पाठकों ने लिखवा ली कहानीrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-5354305138302530682010-08-29T11:49:40.101-07:002010-08-29T11:49:40.101-07:00बहुत सारी शुभकामनायें ..! अब अगली कहानी के इन्तजार...बहुत सारी शुभकामनायें ..! अब अगली कहानी के इन्तजार, जल्दी ही शुरू कीजिये.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-65709064869528808102010-08-29T07:08:39.060-07:002010-08-29T07:08:39.060-07:00"Bikhare Sitare"pe aapki shukr guzaar hu..."Bikhare Sitare"pe aapki shukr guzaar hun!Zaroor dekhen!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-67906823726135310862010-08-28T18:55:38.401-07:002010-08-28T18:55:38.401-07:00कभी कभी कैसी विवशता हो जाती है, कहानी की मांग ही ऐ...कभी कभी कैसी विवशता हो जाती है, कहानी की मांग ही ऐसी होती है कि पाठकों को दुखी करने का अपराध अपने सर लेना पड़ता है.'<br /><br />ओह! कितना कुछ लिखा तुम्हारी इस पोस्ट और उस कहानी के लिए जाने कैसे डिलीट हो गया.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-91540227376403308032010-08-28T18:53:11.528-07:002010-08-28T18:53:11.528-07:00'कभी कभी कैसी विवशता हो जाती है, कहानी की मांग...'कभी कभी कैसी विवशता हो जाती है, कहानी की मांग ही ऐसी होती है कि पाठकों को दुखी करने का अपराध अपने सर लेना पड़ता है.'<br />यही लिखा है न तुमने? दुष्ट लड़की! इसे'अपराध' कहती हो? पाठकों की आँखों से आंसूं बह निकले तो सोचो कितना मार्मिक लिखा है ! <br />हास्य रचना पढते समय पाठक ना हँसे तो उसे लेखन की कमी कहा जायेगा. मैं बराबर तुम्हारी रचनाएँ पढ़ती हूं पर...समय की कमी या ना लिखने के मूड के कारण 'चलताऊ' टिप्पणी ही कर दूँ,ऐसा मैं नही कर पाती.<br />क्या करूँ ऐसीच हूं मैं तो.<br />इसमें कोई शक नही कि अच्छा ही नही बहुत अच्छा लिखती हो तुम.<br />यूँही खुश करने के लिए नही कह रही. मैंने गांवों को बहुत करीब से देखा है बाबु!<br />इलाहाबाद मे पैदा हुई बचपन वहीं बीता. पीहर ससुराल का दूर दूर तक गांवों से कोई वास्ता नही रहा.किन्तु जॉब गांवों मे करण पसंद किया. सलेक्शन होने के बावजूद दो-दो बार लेक्चररशीप ठुकरा दी.<br />अपनी ओर से जहाँ रही गाँव ,गाँव वालों और स्कूल के लिया खूब किया. कीचड भरी कच्ची सडको से होके गाड़ी रोड के किनारे किसी के घर दूकान के सामने खड़ी करके जाती.किन्तु जब भी ट्रांसफर 'लिया,उस गाँव की काया पलट चुकी होती थी.एनिकट,सदके.,सामुदायिक भवन,जरूरतमंदों की पेंस्हंस सब करवाती.किन्तु........ गाँव का वो भोलापन,सादगी,निश्छलता सब खत्म हो चुके हैं बेटा! शहरों से ज्यादा यह करप्शन,छल कपट,दाँव पेच,प्रपंच्बाजी है. जिन्हें करीब से देखोगी तो 'शोक्ड' हो जाओगी.<br />इसीलिए मुझे कहीं अंदर तक तुम्हारी कहानी के सत्य ने नही छुआ.<br />हाँ तुम्हारी शैली बहुत प्रभावशाली है इसमें कोई दो राय नही.<br />प्यार.<br />लिखती रहो. सत्य सुनने का साहस हो तो इंदु आंटी को बुलाना.<br />सत्य ना बोल कर हमारे ये ब्लोगर्स मित्र हमारा हित नही करते.<br />है ना?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-2991002384790199082010-08-27T06:11:08.001-07:002010-08-27T06:11:08.001-07:00bahut hii achchha likhatii hae aapbahut hii achchha likhatii hae aapvikram7https://www.blogger.com/profile/06934659997126288946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-45704775681449691492010-08-27T00:13:53.531-07:002010-08-27T00:13:53.531-07:00Di, aaj kafi dino baad net per aayi to sabse pahle...Di, aaj kafi dino baad net per aayi to sabse pahle maan ka pakhi hi chek kiya dekha samapan kadi aa gyi hia lekin ye achcha hua ki abhi nayi kahani shuru nahi ki aapne warna mujhe ek saath kitna padna pad jata...aapki fan list to bahut lambi hai, besabri se intjaar hai aapki nayi kahani ka...Shubham Jainhttps://www.blogger.com/profile/11736748654627444959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-46524727999168196942010-08-26T00:04:06.921-07:002010-08-26T00:04:06.921-07:00अच्छी कहानी.अच्छी कहानी.SATYAhttps://www.blogger.com/profile/17480899272176053407noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-20355915075726001512010-08-25T08:48:19.462-07:002010-08-25T08:48:19.462-07:00HAMARI SHUBKAAMNAYE AAPKE SAATH HAI RASHMI JI , YU...HAMARI SHUBKAAMNAYE AAPKE SAATH HAI RASHMI JI , YUN HI LIKHTE RAHE ...<br /><br />BADHAYI <br /><br />VIJAY <br />आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...<br />http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.htmlvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-90152764602139601182010-08-25T06:35:35.074-07:002010-08-25T06:35:35.074-07:00मैं ....
और क्या कहूं....
सभी पाठकों की टिप्प...मैं .... <br />और क्या कहूं.... <br />सभी पाठकों की टिप्पणियों <br />का अनुमोदन करता हूँdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-46906188260960554822010-08-25T03:16:02.174-07:002010-08-25T03:16:02.174-07:00bahoot hi achha likha haibahoot hi achha likha haiAkhilesh pal bloghttps://www.blogger.com/profile/06176388027572233336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-17191200189128732782010-08-24T04:36:40.080-07:002010-08-24T04:36:40.080-07:00हाँ, रश्मि कहानी है ऐसी विधा की अगर उसमें घुस आकर ...हाँ, रश्मि कहानी है ऐसी विधा की अगर उसमें घुस आकर जीने लगें तो उसके एक एक पत्र हमें जीवन में कहीं न कहीं देखने को मिल जाते हैं और फिर कहानियां सिर्फ कल्पना से नहीं उपजती उनका कोई आधार होता है हाँ उन्हें अपनी कल्पना के अनुसार हम जीवन देते जाते हैं, स्वभाव और कर्म में उन्हें वर्तमान और अतीत के चरित्रों के साथ साम्य स्थापित कर देते हैं. वैसे कहानी बहुत बहुत अच्छी रही. इसमें पृष्ठभूमि मायने नहीं रखती बल्कि सहज कहानी अधिक दिल को छू जाती है.<br />अब अगली कहानी के इन्तजार में ...................रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-26469400641403835912010-08-23T11:51:43.275-07:002010-08-23T11:51:43.275-07:00जब पढ़ते थे तो ये वाक्य हिदी साहित्य में हमेशा पढ़...जब पढ़ते थे तो ये वाक्य हिदी साहित्य में हमेशा पढ़ते थे की" साहित्य समाज का दर्पण होता है |"तब तो रट लेते थे जैसे जैसे समझ बढ़ी कुछ समझ में आने लगा की समाज में जो कुछ घटित होता है वही तो लिखा जाता है जिसमे कुछ कल्पना ,भाषा शैली ,और साहित्यिक विधाओ का समावेश होता है \आपकी कहानी सभी अपेक्षाओ पर खरी उतरी है |जिसमे हमने सबने अपने आपको पाया है |<br />बस आप लिखती रहे हम पढ़ती रहे |<br />शुभकामनायेशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-19970246500766751232010-08-21T05:23:35.042-07:002010-08-21T05:23:35.042-07:00आपके लिखे को ध्यान से पढ़ा जाए तो लिखते समय और चौकस...आपके लिखे को ध्यान से पढ़ा जाए तो लिखते समय और चौकस रहना पड़ता है , उत्साहवर्धन तो खैर होता ही है ...फिर तुम लिखती भी इतनी अच्छी तरह हो ...छोटी से छोटी बात को शामिल करती हो कहानी में कि सबको अपने नजदीक लगने लगती है ...<br />अब तो हमारी और अपेक्षा बढ़ गयी है ....लिखती रहो ...<br />बहुत सारी शुभकामनायें ..!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-21301824146048621802010-08-21T04:30:26.467-07:002010-08-21T04:30:26.467-07:00लिखते रहिए। पढ़ने वाले तो हैं ही।
घुघूती बासूतीलिखते रहिए। पढ़ने वाले तो हैं ही।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-35683911719867338662010-08-21T01:23:19.473-07:002010-08-21T01:23:19.473-07:00लिखते रहिए बढिया, बाकी हम तो आर्डर करते रहेंगे ।लिखते रहिए बढिया, बाकी हम तो आर्डर करते रहेंगे ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-80721684585856557412010-08-21T00:41:14.987-07:002010-08-21T00:41:14.987-07:00आप को पढ़ कर बहुत मज़ा आता है रश्मि जी,लगता है अपन...आप को पढ़ कर बहुत मज़ा आता है रश्मि जी,लगता है अपने ही आसपास की, अपने ही गांव की कहानी है,कहानी नहीं बल्कि सच्चाई कहें तो ज़्यादा ठीक होगा <br />बहुत सहजता से आप पात्रों को उन के चरित्र में ढाल देती हैं और वे सजीव हो उठते हैं<br />रचना की सफलता पर बधाई स्वीकार करेंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-18964945524670113992010-08-21T00:31:22.383-07:002010-08-21T00:31:22.383-07:00रश्मि तुम लिखती जाओ हम तुम्हारे साथ हैं तो लिखवाते...रश्मि तुम लिखती जाओ हम तुम्हारे साथ हैं तो लिखवाते ही रहेंगे।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-70735021715718832032010-08-20T23:08:51.176-07:002010-08-20T23:08:51.176-07:00bahut hi achchhi kahani likhi gayi
http://sanjayk...bahut hi achchhi kahani likhi gayi<br /><br />http://sanjaykuamr.blogspot.com/संजय कुमार चौरसियाhttps://www.blogger.com/profile/06844178233743353853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-4466344554783948062010-08-20T11:31:12.655-07:002010-08-20T11:31:12.655-07:00रश्मि जी.. आप की कहानी में बहुत सहजता होती है जो ह...रश्मि जी.. आप की कहानी में बहुत सहजता होती है जो हर पाठक को आकर्षित करती है.. इन्हे पढ़ना एक सहज अनुभूति प्रदान करता है..हो सकता है कभी कभी समय की विवशता के वजह से हम त्वरित टिप्पणी ना कर पाएँ...उम्मीद है आगे भी हमें ऐसी भावपूर्ण और सुंदर कहानियाँ पढ़ने को मिलेगी.....धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-64224680633997933822010-08-20T11:00:58.352-07:002010-08-20T11:00:58.352-07:00लिखती रहो, बस लिखती रहो इसी तरह, हम हैं न पढने के ...लिखती रहो, बस लिखती रहो इसी तरह, हम हैं न पढने के लिये :)वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-61640452985592346112010-08-20T10:57:08.550-07:002010-08-20T10:57:08.550-07:00अरे वाह एक और कहानी ! हम अभी से इन्तज़ार कर रहे है....अरे वाह एक और कहानी ! हम अभी से इन्तज़ार कर रहे है.. वैसे अच्छा लगता है दी आपके ब्लाग पर अपना नाम देखना, आप सभी को याद करके शुक्रिया कहना खूब याद रखती है।Sarika Saxenahttps://www.blogger.com/profile/07060610260898563919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-41852452820442808902010-08-20T10:52:06.440-07:002010-08-20T10:52:06.440-07:00आप लिखती ही इतना अच्छा है कि हम वाह वाह किये बिना ...आप लिखती ही इतना अच्छा है कि हम वाह वाह किये बिना रह नही पाते. धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-50726201538592769942010-08-20T09:49:23.715-07:002010-08-20T09:49:23.715-07:00tussi gr8 ho hitussi gr8 ho hiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-53105781031643002242010-08-20T09:26:07.121-07:002010-08-20T09:26:07.121-07:00इतनी प्यारी कहानी हो तो , पाठक तो खिचे चले आयेंगे ...इतनी प्यारी कहानी हो तो , पाठक तो खिचे चले आयेंगे ही ना., वैसे आपकी भोजपुरी ज्ञान के बारे में लगी शर्त में transperency नहीं बरती गयी थी. हाहाहा , , लेकिन गाँव से दूर रहकर गाँव की आत्मा को आत्मसात कर लेना , वाह आप साधुवाद की पात्र है. बाकी मै अनुमान लगा सकता हूँ की आपकी अगली कहानी मुसली (मुसल नहीं) जड़ की तरह होगी जो पाठको को बांध कर रखती है. अब ओखली कौन है इस पर शिखा जी ही प्रकाश डाल सकती है..ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-10929507693861906092010-08-20T09:03:48.113-07:002010-08-20T09:03:48.113-07:00Aapne padhvaa zaroor lee! Maine kaha tha na,ki,sar...Aapne padhvaa zaroor lee! Maine kaha tha na,ki,sar se leke pair tak shareer me dard rahta tha,lekin kahani ki kisht dekhte hi padhne ka pagalpan sawar ho jata! Ye to kahanikaar kee kimaya hai...kahanee ka tilism hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.com