tag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post1676478056457125023..comments2023-09-10T07:58:02.211-07:00Comments on मन का पाखी: "टू इन वन".....'मेकिंग ऑफ दिस नॉवेल' एंड 'थैंक्यू नोट्स "rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-15504632715293489522010-04-22T04:16:12.886-07:002010-04-22T04:16:12.886-07:00Hi rashmi, im a software engineer. hardly get time...Hi rashmi, im a software engineer. hardly get time to read somthing else technology books but take my words, i add ur url to my favorites, so that i will never miss a chance to read ur Novel.Saurabh Hoonkahttps://www.blogger.com/profile/10771854254305269532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-50594499406379272722010-04-22T04:16:12.887-07:002010-04-22T04:16:12.887-07:00This comment has been removed by the author.Saurabh Hoonkahttps://www.blogger.com/profile/10771854254305269532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-5877042953333124652010-02-27T20:12:09.635-08:002010-02-27T20:12:09.635-08:00इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना...इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे.. <br />ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..<br />लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..<br />कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..<br />के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..<br />ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..<br />इस बार.. ऐसा रंग लगाना...<br />(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)<br /><br />होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-35094775526611423832010-02-08T22:14:14.888-08:002010-02-08T22:14:14.888-08:00वाह, ये भी खूब रही। लाजवाब आइडिया था ये पोस्ट का।
...वाह, ये भी खूब रही। लाजवाब आइडिया था ये पोस्ट का।<br /><br />एक बात कहनी थी। आपने और लगभग सभी टिप्पणीकारों ने इस रचना को "लघु उपन्यास" की संज्ञा दी है। अपनी तुच्छ जानकारी के हिसाब से मुझे ये ठीक नहीं लगा। मेरे ख्याल से ये एक लंबी कहानी है। उपन्यास की विधा अपने फलक और कई अन्य वजहों कहानी से भिन्न होता है। उदाहरणस्वरुप यदि हम उदय प्रकाश के "पीली छतरी वाली लड़की" की ही लें...अपनी लंबाई की वजह से वो किसी उपन्यास से कम नहीं, किंतु उसकी गणना हमेशा "कहानी" में ही की जाती है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-60497757315772157782010-02-08T18:18:41.477-08:002010-02-08T18:18:41.477-08:00बिल्कुल नहीं पढ़ा है परन्तु जल्दी ही समय मिलते ...बिल्कुल नहीं पढ़ा है परन्तु जल्दी ही समय मिलते ही अवश्य पढूंगा और अपने जैसे भी होंगे विचार अवश्य प्रकट करूंगा। पढ़ लूं और मौन रहूं , ऐसा मैं नहीं हूं। मानता हूं कि मैंने अभी पढ़ा ही नहीं है और बिना पढ़े राय देना संभव नहीं है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-47625178613264575212010-02-08T17:52:59.477-08:002010-02-08T17:52:59.477-08:00kya Di.. kaan kheenchtee to samajh bhi aata aapne ...kya Di.. kaan kheenchtee to samajh bhi aata aapne to leg pulling start kar di.. :)दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-49387536650033735432010-02-06T09:46:14.336-08:002010-02-06T09:46:14.336-08:00वाह क्या बात है रश्मि जी. मेकिंग ऑफ़....पढते-पढते ...वाह क्या बात है रश्मि जी. मेकिंग ऑफ़....पढते-पढते खो गई अपने किशोर दिनों में..तब मैं भी लिखने के बाद ऐसे ही छुपाते घूमती थी. शानदार तरीके से सबका धन्यवाद किया आपने, मेरा भी जिसके लायक मैं नहीं थी. हां अब इसे पुस्तक रूप प्रदान करें ताकि ये हमारी व्यक्तिगत लायब्रेरी की शोभा बढा सके. सफ़ल लेखन के लिये बधाई और शुभकामनायें.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-92189065229455121882010-02-05T23:36:57.956-08:002010-02-05T23:36:57.956-08:00अब मेकिंग की तर्ज पर पार्ट 2 भी लिख डालिएअब मेकिंग की तर्ज पर पार्ट 2 भी लिख डालिएनीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-9057703586229791452010-02-04T17:00:39.262-08:002010-02-04T17:00:39.262-08:00'मेकिंग ऑफ द नॉवेल' भी नॉवेल जितनी दिलचस्प...'मेकिंग ऑफ द नॉवेल' भी नॉवेल जितनी दिलचस्प...<br /><br />किसी भी हिट चीज़ से जुड़े संस्मरण भी हिट ही होते हैं, ये हमारी बहना ने साबित किया है...<br /><br />आज राहुल बाबा मुंबई आ रहे हैं, कुछ इस पर लिखो तो अच्छा लगेगा...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-67323067330285100322010-02-04T06:12:59.170-08:002010-02-04T06:12:59.170-08:00यहां मेजर और सार्जेण्ट,किसी मुद्दे आदि पर स्टैण्ड ...यहां मेजर और सार्जेण्ट,किसी मुद्दे आदि पर स्टैण्ड लेना आदि से तात्पर्य एक आम मिलिट्री उपन्यास में आने वाले उदाहरणों से है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-86371398829705198052010-02-04T06:09:29.674-08:002010-02-04T06:09:29.674-08:00मैंने आज जाकर इस लघु उपन्यास को पूरा किया है। बीच ...मैंने आज जाकर इस लघु उपन्यास को पूरा किया है। बीच में जिस दिन आपसे चैटिंग की थी उसके अगले दिन एक किश्त पढी थी और आज बची हुई सभी किश्तें। <br /> <br /> यहां आप को शायद एक शंका है कि गौतम जी किसी टेक्निकल चीज की गलती को पकड लेंगे, जो कि वाजिब है। लेकिन जैसा कि आपने इस उपन्यास को एक हल्का सा मिलीट्री टच देकर पूरा किया है वह काबिले तारीफ है। मैं हल्का सा मिलिट्री टच इसलिये कह रहा हूं कि जहां भी मैंने पढा है उसमें ज्यादा डीप में आप नहीं गई जैसे मेजर और सार्जेण्ट आदि के बीच संवाद या किसी अफसर का किसी मुद्दे पर फैसला आदि लेते समय अपना स्टैण्ड रखना जिसमें जाने पर कुछ खामियों का आने की संभावना बनी रहती ( चूंकि आप 18 की उम्र में यह उपन्यास लिख रही थीं तब शायद NCC से आगे का मिलिट्री एक्सपिरियंस ज्यादा नही मिलता) ऐसे समय में यह सब पढ सुन यह उपन्यास एक सुलझे हुए लेखन को इंगित कर रहा है। <br /><br /> बहुत उम्दा लेखन है। बधाई।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-78440736606605558112010-02-03T22:01:16.204-08:002010-02-03T22:01:16.204-08:00wah...thanxwah...thanxRazi Shahabhttps://www.blogger.com/profile/13193897476357715971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-56717670368850584812010-02-03T09:58:52.426-08:002010-02-03T09:58:52.426-08:00हम भी आपके बहुत शुक्रगुजार हैं एक बेहतर उपन्यांस स...हम भी आपके बहुत शुक्रगुजार हैं एक बेहतर उपन्यांस समकक्ष रखने के लिए , अपने आपको पंक्ति में देखकर अच्छा लगा, साथ ही आपसे विनम्र निवेदन है कि आप अपनी रचनाओं के अन्तर्गत अंग्रेजी शब्दो का प्रयोग कम करें अच्छा नहीं लगता आखों मे चूभता है ये राय नहीं निवेदन है ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-46612825286867922692010-02-03T08:55:17.608-08:002010-02-03T08:55:17.608-08:00rashmi ,
lagu upnyas ke liye badhai,achche kathana...rashmi ,<br />lagu upnyas ke liye badhai,achche kathanak ho tab <br />banaye gaye tane bane behtar katha kahte hai .<br />badhai.कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवानhttps://www.blogger.com/profile/15885065966350572216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-36800864776476620742010-02-03T07:28:23.447-08:002010-02-03T07:28:23.447-08:00रश्मि धन्यवाद मेरी भी एक कहानी का नाम दीप शिखा है ...रश्मि धन्यवाद मेरी भी एक कहानी का नाम दीप शिखा है । इस बार वही पोस्ट करूँगी। शुभ्कामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-83837233909477521882010-02-03T05:49:51.654-08:002010-02-03T05:49:51.654-08:00अच्छा लगा समापन का ये तरीका। वैसे शुक्रिया तो आपका...अच्छा लगा समापन का ये तरीका। वैसे शुक्रिया तो आपका करना है कि आपने इतनी अच्छी कहानी लिखी और हम सब से बांटी। वैसे कहानी लिखने की प्रेरणा हमें आपके इस लघु उपन्यास पढने के बाद ही मिली। इतना सहज है आपका लेखन!<br />और अब आपके झोले में से अगला क्या निकलने वाला है।Sarika Saxenahttps://www.blogger.com/profile/07060610260898563919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-90023423076204180212010-02-02T23:06:11.685-08:002010-02-02T23:06:11.685-08:00उपन्यास का समापन भी उपन्यास की ही तरह बहुत आकर्षक ...उपन्यास का समापन भी उपन्यास की ही तरह बहुत आकर्षक हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-10173476928293719052010-02-02T22:46:15.091-08:002010-02-02T22:46:15.091-08:00xआप के पूरे उपन्यास ने बाधे रखा शुरू से लेकर अंति...xआप के पूरे उपन्यास ने बाधे रखा शुरू से लेकर अंतिम कड़ी तक मैंने पढी हाँ कमेन्ट कभी कभी नहीं दे पाया उसके लिए माफ़ी चाहता हूँ ,, उपन्यास का समापन भी उपन्यास की ही तरह बहुत आकर्षक है<br />सादर<br />प्रवीण पथिक<br />9971969084प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-59259441208352951472010-02-02T22:03:13.182-08:002010-02-02T22:03:13.182-08:00वाणी...एक मजेदार बात बताऊँ,मैंने एक मजेदार चीज़ नो...वाणी...एक मजेदार बात बताऊँ,मैंने एक मजेदार चीज़ नोटिस की है...जो लोग २५ से कम उम्र के हैं...उन्हें अंत अच्छा लगा...और २५ से ज्यादा उम्र के लोगों की थोड़ी सी असहमति थी...यह बात जब मैंने कुछ फ्रेंड्स को कहानी मेल की ,तब पता चली क्यूंकि उसके पहले तो बस कॉलेज वालों ने ही पढ़ा था इसे...मैंने इसका विश्लेषण भी किया...कि शायद उस उम्र में आदर्शवाद ज्यादा हावी होता है...उतनी परिपक्वता नहीं होती सोच में...नेहा,शरद भी उसी उम्र के हैं...और मैं भी तब उसी उम्र की थी....लेकिन यहाँ धर्मवीर भारती का एक कथन याद आ रहा है,"आज जब "गुनाहों का देवता' पढता हूँ तो बहुत सारी कमियाँ नज़र आती हैं पर अगर मैं इसे आज भी दोबारा लिंखुं तो उन्हीं कमियों के साथ लिखूंगा."(यहाँ कोई तुलना नहीं है,बाबा)....मुझे लगा शायद ऐसा इसलिए क्यूंकि जब आप लिखते हो तो उनकी मानसिकता में चले जाते हो..और दिमाग उन्ही की तरह सोचने लगता है... एनीवे थैंक्स मैडम ...आपके बहाने इतना कुछ सोच लिया :)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-69327435477428501172010-02-02T22:01:30.100-08:002010-02-02T22:01:30.100-08:00@संगीता जी,दरअसल...मैं अपने एक और मित्र का जिक्र क...@संगीता जी,दरअसल...मैं अपने एक और मित्र का जिक्र करना चाह रही थी,पर छोड़ दिया,(पोस्ट लम्बी हो जाने के डर से) उन्होंने भी स्कूल के बाद पहली बार ,हिंदी में कोई उपन्यास पढ़ा था.वे जाने माने मनोवैज्ञानिक हैं...उनसे मैंने चर्चा की थी कि नॉवेल के अंत के बारे में mixed reactions मिल रहें हैं,उन्होंने कहा...था,यही तो नॉवेल की सफलता है कि नॉवेल ख़त्म होने के बाद भी लोग सोचें कि ऐसा नहीं, ऐसा होना चाहिए था...या ऐसा होता तो कैसा होता...और उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया बड़े intersting way में दी थी ....Great take off...Great landing And the flight was beautiful too....पर ये उनके विचार हैं...मुझे ये सब पता नहीं....आपलोगों ने मौका दे ही दिया उनको भी इसी बहाने थैंक्स बोलने का.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-47463650560853455122010-02-02T21:42:59.532-08:002010-02-02T21:42:59.532-08:00rashmi ji
zindagi mein sab kuch chaha huaa ho jay...rashmi ji<br /><br />zindagi mein sab kuch chaha huaa ho jaye to zindagi sugam na ho jaye aur kahani ka end kaho ya zindagi ka hamesha hatkar hi hota hai, manchaha kabhi nhi hota..........prastuti to lajawaab thi hi aur hamein bhi yaad kiya uske liye aapki shukrgujar hun.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-58242949073819600912010-02-02T21:35:26.162-08:002010-02-02T21:35:26.162-08:00मेकिंग पूरा पढ़ा.... कहानी अब पूरी पढ़ रहा हूँ.......मेकिंग पूरा पढ़ा.... कहानी अब पूरी पढ़ रहा हूँ.... एक सांस में.... बाहर था ना.... इसलिए नेट पर नहीं आना हो पाया... अभी प्रिंट आउट निकाल रहा हूँ.... औफिस ले जा कर इत्मीनान से पढ़ता हूँ.... थोड़ी कहानी पढ़ ली है... अब पूरी पढनी बाकी है... आपने अपनी कहानी में बाँध कर रखा है.... सिर्फ यह हुआ कि मैं बीच में ही बाहर चला गया..... <br /><br /><b>नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....</b>डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-87953754770760182892010-02-02T16:30:31.667-08:002010-02-02T16:30:31.667-08:00बहुत ख़ुशी हुई कि संगीता जी मुझसे सहमत हुई ...
और ...बहुत ख़ुशी हुई कि संगीता जी मुझसे सहमत हुई ...<br />और ये क्या बात है कि वाणी ने सिर्फ अगली किस्त के लिए ही पूछा ....बहुत नाइंसाफी है ...इतना मगज पचा कर कमेन्ट करो और उसपर ये सुनने को मिले ...हा हा हा ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-62793184256011166422010-02-02T08:34:39.121-08:002010-02-02T08:34:39.121-08:00ये भी खूब रही..पहली बार ऐसा समापन देखा. :)ये भी खूब रही..पहली बार ऐसा समापन देखा. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6953374982088960088.post-66440915867530556462010-02-02T06:33:42.154-08:002010-02-02T06:33:42.154-08:00हा हा हा ..
हाँ सिकुअल बना दो 'वो मुड़ कर लौट ...हा हा हा ..<br />हाँ सिकुअल बना दो 'वो मुड़ कर लौट आया'<br />बहुत बढ़िया लगा तुम्हारा ये 'उपसंहार'....<br />कितने दिनों बाद ये शब्द लिखा है ....ठीक वैसे ही जैसे 'लतखोर' याद है न ??<br />अब आगे का इंतज़ार है..<br />keep up the good work girl..!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.com